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साहित्य और सिनेमा

 साहित्य और सिनेमा अजय कुमार चौधरी                       सिनेमा का इतिहास बहुत पुराना नहीं होते हुए भी इतने कम समय में समाज को जिस तरह प्रभावित किया है वह अकल्पनीय है | सिनेमा हमारे सामाजिक जीवन को इस तरह प्रभावित किया है कि हम उसी के काल्पनिक दुनिया में सैर करते हुए वास्तविक धरातल कि तलाश करते हैं | सिनेमा न केवल समाज को बल्कि समाज के प्रत्येक बिन्दुओं को अपने तरफ आकर्षित किया है , चाहे वह हमारी संस्कृति हो , जीवन शैली हो , साहित्य हो , परंपरा हो , आर्थिक व्यवस्था हो सबको नयी आयाम दी है | सिनेमा के द्वारा ही हम नए समाज की  तलाश में भटक रहे हैं | सिनेमा ने मजह 100 वर्षों में जिस बुलंदियों को छु रहा है साहित्य उसके पीछे दौड़ लगती , थकती सी प्रतीत हो रही है | ऐसा नहीं है कि सिनेमा साहित्य से अलग है , यह भी साहित्य का अभिन्न अंग है लेकिन यह अंग आज जितना अकर्षणीय बन गया है कि शरीर के तरफ बुध्दिजीवियों के अलावा अन्य किसी का ध्यान खींच पाने में असक्षम महसूस कर रहा है |  सिनेमा जहां समाज को प्रभावित किया है वहीं यह अर्थ व्यवस्था का सुदृढ़ नींव बन गया है | सिनेमा वैश्विक अर्थव्