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हिंदी का विश्व स्वरूप

हिन्दी का विश्व स्वरूप                                                                                                                     अजय कुमार चौधरी                         प्रत्येक राष्ट्र की अपनी एक राजभाषा होती है जिससे राजकीय व प्रशासनीय कार्य का सम्पादन किया जाता है | भाषा वह साधन है जिसके माध्यम   से मनुष्य   एक-दूसरे से अपनी भावना का आदान-प्रदान करता है , अपनी संवेदनाओं को व्यक्त करता है | हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा है | भारतवर्ष के प्रायः प्रान्तों में बोली और समझी जाती है | किसी भी भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा तब दिया जा सकता जब वह पूरे राष्ट्रवासियों द्वारा बोली और समझी जाए | भारतवर्ष को आजादी मिले 67 वां वर्ष हो चुका है , पर विडम्बना यह है कि हम आज भी भाषायी स्तर   पर मानसिक रूप से गुलाम बने हुए है | भारतवर्ष लगभग 200 वर्षों तक अंग्रेजों का उपनिवेश रहा था | अंग्रेज़ अपनी औपनिवेशिक शक्ति को बकरार रखने के लिए सबसे पहले भारतीय कौमी एकता को निशाना बनाया | इस कौमी एकता को तोड़ने के लिए कभी भाषायी हथियार , तो कभी धार्मिक तो कभी सांस्कृतिक हथियारों का सहारा