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Showing posts from May, 2018

नागार्जुन के उपन्यासों में जन-आंदोलन का विकास

नागार्जुन के उपन्यासों में जन-आंदोलन का विकास अजय कुमार चौधरी          आधुनिक हिन्दी साहित्य में प्रगतिवादी धारा के प्रमुख रचनाकार नागार्जुन हिन्दी के उन विरल उपन्यासकारों में हैं जिन्होंने आजीवन समान्यजन विशेषतःकिसान-मजदूर वर्ग की शोषण –मुक्ति के लिए साहित्य को हथियार बनाया | इनकी लेखनी उन तमाम सर्वहारा वर्ग को पर केन्द्रित है , जो आजीवन पूँजीपतियों , जमींदारों और बुर्जुआ वर्ग के तीन पाटों के बीच सदियों से पीसते आ रहे हैं | नागार्जुन यदि चाहते तो अन्य उपन्यासकारों की तरह राजपथ पर चलते हुए सुख का जीवन जी सकते थे परंतु सर्वहारा वर्ग की दुख और वेदना उन्हें   राजपथ को छोड़कर जनपथ की ओर मुड़ने के लिए विवश कर दिया | साहित्यकार अपनी संवेदना और सहानुभूति के आधार पर अपनी लेखनी का क्षेत्र तय करते हैं | ऐसे में हम देखते है उनकी संवेदना और सहानुभूति किसान-मजदूर , शोषित , दलित , उत्पीड़ित वर्ग के प्रति है | उनके साहित्य में वर्णित घटना , विचारधारा , दृष्टि , संवेदना , कला और भाषा – इन सभी स्तरों पर नागार्जुन का समग्र साहित्य जन-प्रतिबद्ध है | दरअसल मानवोचित अधिकार , राजनीतिक , सांस्

सामाजिक यथार्थ का दस्तावेज 'जूठन'

सामाजिक यथार्थ का दस्तावेज़ “ जूठन ” अजय कुमार चौधरी                   हम भारतीय कहकर स्वयं में गर्व का अनुभव करते है , आखिर ऐसा क्या है ? क्या हमारी सांस्कृतिक धरोहर विश्व के अन्य देशों की तुलना में श्रेष्ठ है या हमारी सामाजिक व्यवस्था जो मनुष्य को मानव निर्मित करने में अपनी श्रेष्ठ भूमिका निभाती है , उस पर गर्व है | हालाकि गर्व करने की ऐसी कोई बात ही नहीं है , ये आत्म प्रवंचना है | प्राचीन आर्य व्यवस्था ने जिस समाज व्यवस्था की नींव हमारे देश में रखी थी वह आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है | वेदों में वर्ण व्यवस्था का आधार कर्म है | कर्मों के आधार पर जाति व्यवस्था की नींव रखी गई है | ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य और शूद्र इन चार वर्णों का परिचय है | इन सभी वर्णों का कार्य निश्चित था - ब्राह्मण सर्वश्रेष्ठ जाति थी , जिनका मूल कार्य पठन–पाठन  के द्वारा ज्ञान अर्जित कर समाज को न्याय की पाठ पढ़ाना , पूजा–पाठ , यज्ञ , धर्म की शिक्षा आदि के साथ-साथ राजाओं को उचित परामर्श देना था | क्षत्रिय का कार्य देश में नियम-कानून लागू कर प्रशासन-व्यवस्था को कायम रखना , देश की रक्षा करना